रविवार, 9 मई 2010

ओशो -एक विचार

अपने ब्लॉग की शुरूआत ‘ओशो’ के विचार से कर रही हूँ ।जीवन दर्शन में उनके दृष्टिकोण से काफी प्रभावित हूँ ।



आकाश को खिड़कियों से मत देखो ।
क्योंकि , खिड़कियां असीम आकाश को भी सीमाएं दे देती है ।

और , सत्य को शब्दों से नहीं ।
क्योंकि , शब्द निराकार को आकार दे देते हैं ।
आकाश को जानना हो, तो खुले आकाश के नीचे आ जाओ ।
अपनी-अपनी खिड़कियों को छलांगकर ।
और सत्य को जानना हो तो निशब्द में लीन हो जाओ ।
अपने-अपने शब्दों को त्यागकर ।
और सोचो मत करो और देखो।
क्योंकि, सोचने मात्र से खिड़कियों से छलांग नहीं लगती है ।
और न ही शब्दों का अतिक्रमण होता है ॥


.............“ओशो”.............

33 comments:

M VERMA ने कहा…

नए ब्लाग पर प्रथम पोस्ट के लिये हार्दिक स्वागत और शायद यह प्रथम कमेंट होगा

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

आदेश कुमार पंकज ने कहा…

बहुत सुंदर
मातृ दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और मेरी ओर से देश की सभी माताओं को सादर प्रणाम |

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सटीक विचार से ब्लॉग शुरू किया है....शुभकामनायें

JAGDISH BALI ने कहा…

aap ne blog hi itna sundar banaya hai ki niharte rahne ka man karta hai. sundar aagaaz.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुंदर जीवन दर्शन ....

Razi Shahab ने कहा…

nice

राकेश जैन ने कहा…

bahut achhe vichar se shuru kia hai.. All THE BEST!!!

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

हार्दिक स्वागत !!!!

शुभकामनायें

बेनामी ने कहा…

पहली पोस्ट बहुत खूब, अति सुंदर - हार्दिक शुभकामनाएं

Unknown ने कहा…

shandar

Sandesh Dixit ने कहा…

Ek aur pagal ....maaf kijiyega !!!


Osho naam se kuch hone lagta hai mujhe !!!!


www.sandesh.co.r

अजय कुमार ने कहा…

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

Kulwant Happy ने कहा…

अगर आप उनसे प्रभावित हैं तो सच कहूँ, पीछे कहने को मेरे पास कुछ नहीं रह जाता। अद्बुत। बस इतनी सी अपील है कि उसको सम्हल और ध्यान से पढ़ना, कहीं भी थोड़ी सी चूक हुई, पूरी कहानी बिगड़ जाएगी।

Sandesh Dixit ने कहा…

Well said happy,

You know the interpretation of Osho's thoughts are not exactly what he said.He was a gr8 philosopher,bt his followers mold them with there comfort.He mainly talked about love and meditation techniques...bt because of introvert-ness we always sees him as a sexologist....

We hav to very conscious while reading him ...i can bet that 90 ppl takes him wrong !!!

शिक्षामित्र ने कहा…

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। ओशो का स्मरण मात्र तृप्ति देता है। क्रम बनाए रखें।

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुन्दर विचार है . शुभकामनाएं

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

इस ब्लॉग की पहली पोस्ट पर अपने विचार देने के लिये सभी का धन्यवाद ।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

हैप्पी जी और शनिचरी जी
आपके मार्गदर्शन के लिये धन्यवाद । मैं ये सोचती हूँ कि हर बात के दो पहलू होते हैं ये आप पर निर्भर करता है कि आप किस तरफ जाते हैं ।मैं उनकी अनुयायी नहीं हूँ परंतु अध्यात्म में उनका विशलेषण अदभुत है ।

दिनेश शर्मा ने कहा…

सुन्दरतम्‌ ॥

Dev ने कहा…

नए ब्लॉग कि शुरवात बहुत ही उत्तम ....प्रस्तुती रही ......बंधाई हो आपको .

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wah.....
swagat hai....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अति सुन्दर।
--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?

बेनामी ने कहा…

aapka blog jagat mein swagat hai..
bahut hi achhi shuruaat...
yun hi likhte rahein...
-----------------------------------
mere blog mein is baar...
जाने क्यूँ उदास है मन....
jaroora aayein
regards
http://i555.blogspot.com/

सतपाल ख़याल ने कहा…

He was a great philospher and saint .thanks for this beautuful poem

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah........

Akanksha Yadav ने कहा…

बहुत खूब..सुन्दर व सार्थक सन्देश.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

सुन्दर ब्लॉग है.
बधाई आपको !

Shankha ने कहा…

Really very nice! Loved the thought.

संजय पाराशर ने कहा…

OSHO ke vichar jn-jn tk pahuchane ke lie thanks.....

Suman ने कहा…

osho naam hai jis upvan ka mai bhi yek suman hoon us upvan ki ...........bahut sunder.

HBMedia ने कहा…

सुंदर जीवन दर्शन ....हार्दिक शुभकामनायें !!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

"ओशो" इस सदी के अद्भुत विचारक थे...उनके विचारों का उनके समय में गलत आंकलन किया गया...वो क्रांतिकारी थे और अपने समय से आगे की सोच रखते थे...आज उनके प्रवचनों को सुन कर हमें उनकी महानता का आभास होता है...उनके अध्यन की कोई थाह नहीं थी , शायद ही कोई धर्म या संत या विषय हो जिस पर उन्होंने प्रवचन न दिए हों...ऐसे विद्द्वान पुरुष के विचारों से आपने अपने नए ब्लॉग की शुरुआत की है ये एक शुभ संकेत है...सुस्वागतम...


नीरज

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