रविवार, 9 मई 2010

ओशो -एक विचार

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अपने ब्लॉग की शुरूआत ‘ओशो’ के विचार से कर रही हूँ ।जीवन दर्शन में उनके दृष्टिकोण से काफी प्रभावित हूँ ।



आकाश को खिड़कियों से मत देखो ।
क्योंकि , खिड़कियां असीम आकाश को भी सीमाएं दे देती है ।

और , सत्य को शब्दों से नहीं ।
क्योंकि , शब्द निराकार को आकार दे देते हैं ।
आकाश को जानना हो, तो खुले आकाश के नीचे आ जाओ ।
अपनी-अपनी खिड़कियों को छलांगकर ।
और सत्य को जानना हो तो निशब्द में लीन हो जाओ ।
अपने-अपने शब्दों को त्यागकर ।
और सोचो मत करो और देखो।
क्योंकि, सोचने मात्र से खिड़कियों से छलांग नहीं लगती है ।
और न ही शब्दों का अतिक्रमण होता है ॥


.............“ओशो”.............
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