बुधवार, 29 अगस्त 2012

ख़ामोशी
















आज मैं हूँ तो मेरी ख़ामोशी के अफ़साने हैं
कल इन लफ़्ज़ों में ढूँढोगे मेरी ख़ामोशी को ..!!




सु-मन 

14 comments:

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

नख्ले जां को ख़ूं पिलाया उम्र भर
शाख़े हस्ती आज भी जाने क्यूं ज़र्द है

आज हर तरफ़ ऐसा मौसम है कि ये हालात बन पड़े हैं।

See
http://mushayera.blogspot.com/2012/08/gazal.html

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

वाह!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... शब्दों का उलटफेर कभी कभी जिंदगी का उलट फेर भी बन जाता है ... कमाल का लिखा है ...

मनोज कुमार ने कहा…

अद्भुत!

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत बढ़िया ....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

लम्हें से लफ्ज़...कितना कुछ कह गए

Minakshi Pant ने कहा…

वाह बहुत खूब अर्ज किया है .....
खामोश रहकर जो खुद को संवारा हमने |
जिन्दगी और भी खूबसूरत लगने लगी हमें |

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर!
नमस्ते जी, शुभसंध्या!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

शायद मिल जाये ....
तो कहना ख़ामोशी कैसी होती है

Unknown ने कहा…

बहुत खूब |
मेरे ब्लॉग में पधारें और जुड़ें |
मेरा काव्य-पिटारा

Saras ने कहा…

गहन.....!!!!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

awesome:-)

प्रियंका.... ने कहा…

वाह ....

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