शनिवार, 26 दिसंबर 2015

हर दफ़ा

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हर दफ़ा भूल जाते हो तुम अपनी कही हर बात 
मैं सोच कर इसे पहली दफ़ा हर बार भूल जाती हूँ !!

सु-मन 

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

पहचान

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आईना रोज़ ढूँढता है मुझमें मेरी पहचान 
मैं देख कई अक्स अपने सोच में पड़ जाता हूँ !!

सु-मन 

शनिवार, 5 दिसंबर 2015

रिश्ते की गर्माहट

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.....कुछ ख़याल 
बुन रही हूँ मैं 
तुम्हारे एहसास के 
हर फंदे पर 
डाल रही हूँ 
एक बेजोड़ बुनाई 

सुनो ! 
इस दफ़ा जब 
दिसम्बर में आओगे न तुम 
रेशों से इन लफ्ज़ों को 
सिल देना अपने स्पर्श से  
मेरी नज़्म को ओढ़कर 
करना महसूस 
हमारे रिश्ते की गर्माहट !!


सु-मन 



बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

बोझ धरा का

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बढ़ रहा धरा के सीने पर बोझ शायद 
कि दिल इसका भी अब ज़ोर से धड़कने लगा है !!

सु-मन 

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

तर्पण

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तर्पण की हर इक बूँद में समाया है पित्तरों का नेह 
अर्पण कर अंजुरी भर जल बरसता है यादों का मेह !!


सु-मन 

गुरुवार, 10 सितंबर 2015

बेवक़्त हादसे

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मुक़र्रर है वक़्त हर चीज़ का लेकिन 
बेवक़्त हो जाया करते हैं हादसे जिंदगी में !!

सु-मन 

सोमवार, 17 अगस्त 2015

भीगे लफ्ज़

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भीगते तो होंगे तुम्हारे भी कुछ लफ्ज़ 
मेरे याद के भरे बादल बरसते तो होंगे 
चलती तो होंगी तुम्हारे शहर भी हवाएँ
मेरे नाम के पत्ते शाख से गिरते तो होंगे !!

सु-मन 

गुरुवार, 30 जुलाई 2015

याद का घूँट

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बेसबब यूँ आया मोहब्बत का ख़याल
बेख़याली में तेरी याद का घूँट पी बैठे !!


सु-मन 

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

हज़ में बरसता सावन

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बरस रहा है आज सावन 
हज़ के इस पाक महीने में 
सज गए हैं आज शिवालय 
इबादत हो रही मदीने में !!

सु-मन 

(चित्र : सुबह ऑफिस आते हुए बरसते सावन का नज़ारा )

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

चाह मेरी

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चाह मेरी
हो जाऊँ इन बादलों सी 
स्याह मैं 
भर लूँ अपने भीतर 
खूब कालापन 
मुझमें समाहित हो 
तमाम रंग 
मेरे स्याह होने की गवाही दें 
लिखूँ मैं 
अपने भीतर की कालिख से 
एक प्रेमगीत !!

सु-मन 









गुरुवार, 18 जून 2015

हसरतों की बारिश

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भर भर 
खाली होता गया 
ख्वाहिशों का मयखाना 

बूँद बूँद 
अश्क होती गयी 
हसरतों की बारिश !!


सु-मन 

मंगलवार, 26 मई 2015

सीले एहसास

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मेरे हिस्से के उजाले में
बिखेर दो तुम
एक धूप का टुकड़ा

मेरी पलकों की नमी से
बरसा दो तुम
अपने नाम के बादल

कि
एक मुद्दत से
एहसास में पड़ी सीलन
भिगो कर अच्छे से सूखा दूँ !!


सु-मन 




मंगलवार, 5 मई 2015

जिंदगी एक कहानी ही तो है

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एक कहानी होती है । जिसमें खूब पात्र होते हैं ।एक निश्चित समय में दो पात्रों के बीच वार्तालाप होता है । दो पात्र कोई भी वो दो होतें हैं जो कथानक के हिसाब से तय होते हैं । कथानक कौन लिखता है उन किसी को नहीं मालूम । मालूम है तो बस इतना कि उस लिखे को मिटाया नहीं जा सकता । प्रतिपल लिखे को आत्मसात कर कहानी को आगे बढ़ाते जाते हैं । इस कहानी में मध्यांतर भी नहीं होता कि कोई सोचे जो पीछे घटित हुआ उसके अनुसार आगे क्या घटित होगा । बस होता जाता है सब एक सुव्यवस्थित तरीके से । कहानी कभी खत्म नहीं होती ।हाँ बस पात्र बदलते रहते हैं ।
वार्तालाप खत्म होने पर भी पात्र इकहरा नहीं होता,जाने क्यूँ । दोहरापन हमेशा लचीला होता है शायद इसलिए !!


सु-मन

रविवार, 19 अप्रैल 2015

बीती शाम

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भरा भरा पर खाली खाली (घर की छत से दिखता आसमां)

















बीती शाम
हवा ने एक चुटकी काटी
और नम पलकों से
चुरा ले गई कुछ बूँदें
खुश्क आँखें देखती रही
उन्हें जाते , दूर कहीं
बाद इसके –
आसमां के ज़िस्म से
उतरने लगा लिबास कोई
रूह मेरी
देर तक पैरहन एक सिलती रही !!


सु-मन 











मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

सजदा

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दो बूँद अश्क पीकर 
पाक हुई रूह 
खाली दामन को 
काँटों से भर 
आबाद हुआ ज़िस्म 

आज फिर-
जिंदगी की मज़ार पर 
अधूरे अरमानों ने सजदा किया !!


सु-मन 

बुधवार, 11 मार्च 2015

आदतन

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आदतन उसने झूठ से फिर बहलाया हमको
आदतन हम फरेब-ए-वफ़ा को सच मान बैठे !!

सु-मन 

शनिवार, 31 जनवरी 2015

जाम-ए-तन्हाई

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बाद – ए- अरसे लौटा है तेरा ख़याल
जाम –ए- तन्हाई की तलब होने को है !!



सु-मन 

बुधवार, 28 जनवरी 2015

गलती ख़्वाहिशें

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जाने किस नम कोने में 
दबी हैं ख़्वाहिशें 
गल रही हैं पर पनपती नहीं !!


सु-मन 

शनिवार, 17 जनवरी 2015

आरजूओं का अलाव

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पुर्ज़ा पुर्ज़ा कर दिए हैं एहसास 
सूखे रिश्ते की पपड़ियों को 
कर दिया है इक्कट्ठा 

देखो ! जलने लगा है 
आरजूओं का अलाव धुआँ धुआँ !!


सु-मन 

सोमवार, 5 जनवरी 2015

ईलाज-ए-मर्ज़

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ईलाज - ए - मर्ज़ भी होता है वक़्त रहते
ज़हर बन जाती है दवा एक मुद्दत के बाद !!

सु-मन 
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