मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

तर्पण















तर्पण की हर इक बूँद में समाया है पित्तरों का नेह 
अर्पण कर अंजुरी भर जल बरसता है यादों का मेह !!


सु-मन 

10 comments:

Anjali Sengar ने कहा…

Nice poem dear :)

zigzacmania.com

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर !

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, उधर मंगल पर पानी, इधर हैरान हिंदुस्तानी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सुन्दर भाव !

रचना दीक्षित ने कहा…

सुंदर भाव.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर ...

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर

चर्चा - 2123
में दिया जाएगा
धन्यवाद

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर ..

Unknown ने कहा…

सच है, तर्पण से ही पितरों को शान्ति मिलती है।

Unknown ने कहा…

सच है, तर्पण से ही पितरों को शान्ति मिलती है।

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