शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

तुम और मैं -४



रिश्ते के प्रति प्रतिबद्धता मेरा निर्णय है और निष्कासन तुम्हारी अपनी चाह | सोच अलहदा होकर भी एक सी हैं ..बे-हद और बेलगाम |

हम लाईलाज तमन्नाओं से अभिशप्त हैं !!

सु-मन 

4 comments:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लाइलाज सही पर मन को ख़ुशी तो देती अहिं .. यह भी किसी न किसी बिमारी का इलाज है ...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

शाप से मुक्ति के लिये तमन्नाओं का ईलाज करने वाले चिकित्सक ढूँढने पड़ेंगे इसका मतलब ?

Onkar ने कहा…

बढ़िया

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

सही है, तमन्नाएँ अभिशप्त होती ही हैं ।

एक टिप्पणी भेजें

www.hamarivani.com
CG Blog www.blogvarta.com blogavli
CG Blog iBlogger