वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
होता है कई बार ऐसे भी .......सही आंकलन किया ऐसी परिस्तिथियों का ..किन्तु मेरे विचार में उम्मीद की किरणों को आने दो ज़ेहन के रौशनदानों से फिर खिलेंगे फूल, महकेगी ज़िन्दगी खुशनुमा अरमानों से .. डॉ पूनम माटिया
8 comments:
Nice
वाह
बहुत सुंदर
सुन्दर।
होता है कई बार ऐसे भी .......सही आंकलन किया ऐसी परिस्तिथियों का
..किन्तु मेरे विचार में
उम्मीद की किरणों को आने दो ज़ेहन के रौशनदानों से
फिर खिलेंगे फूल, महकेगी ज़िन्दगी खुशनुमा अरमानों से .. डॉ पूनम माटिया
सुन्दर अभिव्यक्ति ,आभार। "एकलव्य"
वाह
मन के गहरे एहसास लिए पंक्तियाँ ...
बहुत खूब
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