सोमवार, 20 नवंबर 2017

तुम और मैं -९

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मैंने दीया जला कर 
कर दी है रोशनी ...
तुम प्रदीप्त बन 
हर लो, मेरा सारा अविश्वास |

मेरे आराध्य !
आस के दीये में 
बची रहे नमी सुबह तलक !!


सु-मन 

सोमवार, 9 अक्तूबर 2017

हुनर

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समेट लेना खुद को , अपने दायरे में 
सिखा देता है ये हुनर , वक़्त आहिस्ता आहिस्ता !!


सु-मन 

बुधवार, 30 अगस्त 2017

रूबरू

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तुझसे रूबरू न हो पाऊँ , न सही 
तेरी धड़कन अब मुझसे होकर गुजरती है !!

सु-मन 

शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

शापित मंजिलें

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... स्थितियाँ 
बदल देती हैं 
राह जिंदगी की ...

... मंजिलें
अक्सर अकेली रह 
शापित हो जाया करती हैं !!


सु-मन 

शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

खाली हसरतें

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खाली हसरतों की 
होती है मियाद 
बस इतनी ....

भीतर के भरेपन में 
होती है खाली 
जाम-ए-पनाह जितनी.. !!


सु-मन 

शनिवार, 17 जून 2017

बस यूँ ही ~ 2

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मैं जिंदा तो हूँ , जिंदगी नहीं है मुझमें 
फक़त साँस चल रही है ज़िस्म फ़ना होने तक !!

सु-मन 

शनिवार, 3 जून 2017

बस यूँ ही ~ 1

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झील की चादर पर पड़ गई हैं सिलवटें 
आज फिर, मस्त पवन उससे मिलने आया है !!


सु-मन 

सोमवार, 6 मार्च 2017

तुम और मैं -८

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.....तुम !
स्याह लफ्ज़ों में लिपटे ख़यालात हो
और मैं...
उन ख़यालों की ताबीर |

एक एहसास की नज़्म
आज भी ...
जिन्दा है तुम्हारे मेरे बीच !!

सु-मन 

शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

तुम और मैं - ७

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मेरी पेशानी पर 
तुम्हारे एहसास के दस्खत
आज भी 
तुम्हारे हक़ की हाज़री देते हैं ..

इश्क़ की जमाबंदी में तुम्हारे नाम की मुहर काबिज़ है !!

सु-मन 

मंगलवार, 24 जनवरी 2017

तुम और मैं -६

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तुम अनलिखी कविताओं का केंद्र बिंदु हो और मैं लिखी इबारतों से बची स्याही |

मेरे अशेष ! स्याह हो रीत लो मुझको ||

सु-मन 
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