सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

ख़ामोशियाँ










बे-हद होती हैं ये ख़ामोशियाँ 
टूटती नहीं, हर हद तोड़ जाती हैं !!


सु-मन 

6 comments:

Sadhana Vaid ने कहा…

वाह ! बहुत खूब !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

खामोशी को खामोशी से
फैवीकल से जैसे
जोड़ जाती हैं
:)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वह क्या बात है ... हर हद तोड़ जाती हैं खामोशियाँ ...

प्रभात ने कहा…

क्या खूब ........मुझे थोड़ा बहुत ही समझ आया ......परन्तु जो भी समझ आया ...अच्छा लगा!

Yogi Saraswat ने कहा…

​क्या बात है ! बहुत खूब

Kailash Sharma ने कहा…

वाह..बहुत सुन्दर

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