बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

बोझ धरा का














बढ़ रहा धरा के सीने पर बोझ शायद 
कि दिल इसका भी अब ज़ोर से धड़कने लगा है !!

सु-मन 

15 comments:

बेनामी ने कहा…

सार्थक सत्य

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

अच्छा है ।

Aapki Safalta ने कहा…

Bahut accha

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2144 में दिया जाएगा
धन्यवाद

कविता रावत ने कहा…

सबक सिखाता है लेकिन हम है समझते नहीं ..

DK Meena ने कहा…


बढ़ रहा धरा के सीने पर बोझ शायद
कि दिल इसका भी अब ज़ोर से धड़कने लगा है !!

सु-मन

Himkar Shyam ने कहा…

बहुत ख़ूब

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत सही।

रश्मि शर्मा ने कहा…

बि‍ल्‍कुल सही

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Unknown ने कहा…

एकदम सत्य बात कही है।

Unknown ने कहा…

एकदम सत्य बात कही है।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

खूब कही

रचना दीक्षित ने कहा…

सच कहा आपने.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

क्या बात है !.....
आप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
नयी पोस्ट@धीरे-धीरे से

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