शुक्रवार, 29 जून 2018

दर्द


मेरे दर्द की खबर भी न हुई ज़माने को
दर्द मुझको और मैं दर्द को यूँ जीता रहा !!



सु-मन 

4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-06-2018) को "तुलसी अदालत में है " (चर्चा अंक-3017) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Chirag Ki Kalam ने कहा…

wah bahut badhiya....
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आकर । मैं पिछले 6 साल से लिख रहा हू । पहले भी कई ब्लाग बनाये और फिर बीच मे ब्लाग पर लिखना कम करके अपने लैपटाप पर ही लिखने लगा हू । अब फिर से ब्लाग पर सक्रिय होने जा रहा हू । आपका सहयोग रहेगा तो वापसी अच्छी कर पाऊंगा ।
मेरे ब्लाग पर आईयेगा,मैं वादा करता हू आपको निराश हो कर नही लौटना पडेगा ।
ब्लाग की लिंक है :- http://www.chiragkikalam.in/
धन्यवाद ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ख़ामोश ज़ुबाने ख़ुद ही सुन सकते सब बस ...
गहरी बात ..

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

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