ऐ खुदा रेत के सेहरा को समंदर कर दे
या छलकती हुई आँखों को पत्थर कर दे
ऐ खुदा..........................................
तुझको देखा नहीं महसूस किया है मैनें
आ किसी दिन मेरे अहसास को तयकर कर दे
या छलकती हुई आँखों को पत्थर कर दे
ऐ खुदा..........................................
और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे
या छलकती हुई आँखों को पत्थर कर दे
ऐ खुदा.........................................
शाहिद मीर