गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

सरहद

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मेरी सोच मेरे अहसास की
सरहद नहीं कोई
लफ़्ज़ों को उड़ान भरने दो
उस छोर तक
शायद कोई हद मिल जाये इनको
और वापिस लौट आएँ
तो.....
बता सकूँ तुम्हें-कि
देखो हद ढूंढ ली है मैंने भी
तुम्हारी तरह
पर....
जब तक वो लौट के ना आएँ
जीने दो मुझको
इस सरहद से अनभिज्ञ
और उड़ने दो
असीमित खयालों के आसमां में
तुम संग तुम्हारे बिना ...!!


सु-मन 

शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

प्रीत

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बीज से पनपता है पौधा
पौधे में फिर पनपे बीज
प्रीत से महकता है जीवन
जीवन में फिर महके प्रीत !!

सु-मन 

बुधवार, 29 अगस्त 2012

ख़ामोशी

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आज मैं हूँ तो मेरी ख़ामोशी के अफ़साने हैं
कल इन लफ़्ज़ों में ढूँढोगे मेरी ख़ामोशी को ..!!




सु-मन 

रविवार, 26 अगस्त 2012

मौन

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एक चुप्पी सी है बस


और कुछ नही 


शब्दों के परे का 'मौन'


कितना गहरा होता है ना ...!!









सु-मन 
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