बुधवार, 4 दिसंबर 2013

मधुशाला

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जिंदगी  की  मधुशाला  में 
छलकते हैं लम्हों के जाम 
घूँट भरते हैं रात और दिन 
ढलती है उम्र की एक शाम 

ऐ जिंदगी ! तुझे सलाम .....


सु-मन 

रविवार, 17 नवंबर 2013

इबादत का सिला

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मेरी इबादत का मिला ये सिला मुझको 

खुदा बन के 'मन' अब वो पत्थर हो गया ।।




सु-मन



शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

खलिश

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जाने कैसी खलिश है जिंदगी-ए-अहसास में 

'मन' की खामोशी में जानलेवा सा दर्द क्यूँ है !!





सु-मन 

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

जाम-ए-हसरत

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जाम - ए - हसरत न रख ख़ाली ऐ साकी 
तमाशा-ए-जिंदगी का जश्न बाकी है अभी !!


सु-मन 

रविवार, 1 सितंबर 2013

लिखने की कोई वजह नहीं ,बस यूँ ही बेवजह

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             एक खाली सुबह को अपनी बाहों में भरते हुए सूरज ने कहा,जानती हो ! कल संध्या में जब मैं रात के आगोश में छिप रहा था तो मैं कितना शांत अनुभव कर रहा था | इसलिए नहीं कि सारा दिन न चाहकर भी इस धरा पर आग बरसा कर मैं थक चुका होता हूँ बल्कि इसलिए कि सारा दिन मेरी तपिश को सहन करती इस धरा को राहत मिल जाती है | ये तरुवर ये पीली पड़ती इसकी डालियाँ , नदी के दामन में सिमटी ये शिलाएं जब मेरी किरणों के स्पर्श से दहकने लगती हैं , ये पंछी पखेरू जब व्याकुल हो अपने आशियाने में दुबक कर करते हैं इन्तजार मेरे छिपने का और जब कोई जिंदगी सो जाती है गहरी नींद मौत के आगोश में तो कितना निरीह होता हूँ मैं उस समय | तब मेरे भीतर के बिखराव से कितना टूट जाता हूँ मैं ये कोई क्या जाने | संध्या के आगमन में जब इस सागर में दूर क्षितिज में विलीन हो जाता हूँ मैं तो दिन से विदा लेते हुए भी आनंदित होता हूँ और नहीं चाहता फिर से उगना | पर..इस समय चक्र में बंधा मैं जकडा हूँ इस समय के बाहुपाश में | इसलिए मेरी प्रिय सुबह , न चाह कर भी तुम्हे एक और सुलगते दिन में बदलने फिर से तुम्हें अपनी बाहों मे भर रहा हूँ ...!!

हर रोज मिलन से सकूँ मिले जरुरी तो नहीं... सकूँ गर हो तो मिलन में राहत हो या तपिश ...सब एक से महसूस होते हैं शायद !


(लिखने की कोई वजह नहीं, बस यूँ ही बेवजह)
सु-मन 

शनिवार, 10 अगस्त 2013

तन्हाई

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..............सबको 
कुछ देने के बाद 
जो शेष है तुम में 
दे दो वो मुझको 
अपनी ये तन्हाई !!


सु-मन 

रविवार, 14 जुलाई 2013

खलिश

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                                      इस भीगी शाम में सीली याद सी 
                                      इक तेरी खलिश है बेहिसाब सी !!


                                                                                                                                                                                                   सु-मन 

शनिवार, 18 मई 2013

रिहाई

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उसने दे दी अपनी हर साँस से रिहाई मुझको 
कुछ इस तरह उसने अपना हक अदा कर दिया !!


सु-मन 

शनिवार, 27 अप्रैल 2013

तेरे नां दी इक बूँद

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तेरे नां दी इक बूँद जे चख लूँ तां अमृत होए 

साहां ते रुलदी पई रूह नू हुण बसेरा दे दे ..!!






सु~मन 

शनिवार, 2 मार्च 2013

एहसास

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तेरे एहसास को मैं भर लूँ बाहों में सनम 
फिज़ा में फैली है आज खुशबू तेरे प्यार की ..!! 



सु-मन 

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

ख्वाब

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सुनो ! 
आज दावत दी है मैंने 
ख़्वाबों को 
तुम्हारी आखों में 
आने के लिए 
आज मत करना इन्तजार 
मेरे आने का 
बस पलकें मूँदना 
और महसूस करना 
मेरे अहसास को 
ख्वाबों के गुलशन में 
अहसास का आशियाँ बनाएंगे 
सुना है ... 
कुछ ख्वाब पूरे हो जाया करते हैं ......!!


सु-मन 
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