रविवार, 19 अप्रैल 2015

बीती शाम

12 comments
भरा भरा पर खाली खाली (घर की छत से दिखता आसमां)

















बीती शाम
हवा ने एक चुटकी काटी
और नम पलकों से
चुरा ले गई कुछ बूँदें
खुश्क आँखें देखती रही
उन्हें जाते , दूर कहीं
बाद इसके –
आसमां के ज़िस्म से
उतरने लगा लिबास कोई
रूह मेरी
देर तक पैरहन एक सिलती रही !!


सु-मन 











मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

सजदा

13 comments












दो बूँद अश्क पीकर 
पाक हुई रूह 
खाली दामन को 
काँटों से भर 
आबाद हुआ ज़िस्म 

आज फिर-
जिंदगी की मज़ार पर 
अधूरे अरमानों ने सजदा किया !!


सु-मन 
www.hamarivani.com
CG Blog www.blogvarta.com blogavli
CG Blog iBlogger