वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
सावन की फुहार में जो भीगने लगे हैंबेलपत्र की माला से जो सजने लगे हैंदूध की धारा जिन पर है चढ़ने लगीमंद मंद मुस्कुराते वो मेरे आदिशिव हैं !!
सु-मन