एक बार राधा से श्रीकृष्ण से पूछा - हे कृष्ण ! तुम प्रेम तो मुझसे करते हों परंतु तुमने विवाह मुझसे नहीं किया , ऐसा क्यों ? मैं अच्छे से जानती हूं तुम साक्षात भगवान ही हो और तुम कुछ भी कर सकते हों , भाग्य का लिखा बदलने में तुम सक्षम हों , फिर भी तुमने रुकमणी से शादी की , मुझसे नहीं।
राधा की यह बात सुनकर श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया - हे राधे ! विवाह दो लोगों के बीच होता है। विवाह के लिए दो अलग-अलग व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। तुम मुझे यह बताओं राधा और कृष्ण में दूसरा कौन है। हम तो एक ही हैं। फिर हमें विवाह की क्या आवश्यकता है। नि:स्वार्थ प्रेम, विवाह के बंधन से अधिक महान और पवित्र होता है। इसीलिए राधाकृष्ण नि:स्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं और सदैव पूजनीय हैं।