शनिवार, 27 अप्रैल 2013

तेरे नां दी इक बूँद

















तेरे नां दी इक बूँद जे चख लूँ तां अमृत होए 

साहां ते रुलदी पई रूह नू हुण बसेरा दे दे ..!!






सु~मन 

19 comments:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन



सादर

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Kya Baat..... Wah

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

दिला दे बसेरे विच ओ ही बसदा
मेरी रूह दी गला नूं ओ ही रचदा ||...अंजु(अनु)

Aruna Kapoor ने कहा…

...दिल के दर्द को बयां करती अभ्यर्थना!

विभूति" ने कहा…

खुबसूरत अभिवयक्ति.....

अरुन अनन्त ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (28-04-2013) के चर्चा मंच 1228 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह !!! बहुत उम्दा प्रस्तुति !!!

Recent post: तुम्हारा चेहरा ,

amit kumar srivastava ने कहा…

वाह जी वाह । बहुत दिनों बाद कुछ लिखा तो अपने ..वह भी इतना शानदार ।

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर!!

Jyoti khare ने कहा…

सुंदर सहज
वाह बहुत खूब
बधाई

Unknown ने कहा…

Sumanji,
Well written.
Vinnie

Asha Lata Saxena ने कहा…

बढ़िया है |
आशा

रचना दीक्षित ने कहा…

बेहतरीन भाव.
शुभकामनाएँ.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... किसी के नाम की एक बूँद अमृत स असर करती है ..
सच कहा है .. लाजवाब ...

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


बहुत सुन्दर भाव !

अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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Saras ने कहा…

वाह सुमन .....सब कुछ कह दिया ...!!!!!

राहुल ने कहा…

भाषा को लेकर बात समझ में नहीं आई... वैसे सब लोगों के साथ-साथ सरसजी भी तारीफ़ कर रही हैं तो इसका मतलब शब्दों में दम-ख़म है ..............

Ramakant Singh ने कहा…

निःशब्द करती

Unknown ने कहा…

sundar suman ji....

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