वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
गढ़ सको तो कोई मूर्ति गढ़ लो कर दो प्राण-प्रतिष्ठा पत्थर मौन होकर भी मौन नहीं होते
*"बहुत डाला समन्दर मेँ शहद हमनेँ,कमब्ख़त खारा का खारा ही रहा ।" *
बहुत खूब ... बनी रहेगी ये मूरत उम्र भर के लिए अब ...
Bahut Sunder
जाऊं बुतखाने से क्यों काबे को मैं,हाथ से ये भी ठिकाना जायेगा...
बहुत सुन्दर...:-)
आह!!
बहुत सुन्दर .
बहुत दर्द झलकता है इस शेर में। … खूबसूरत
YAHI HO JATA HAI
10 comments:
गढ़ सको तो कोई मूर्ति गढ़ लो
कर दो प्राण-प्रतिष्ठा
पत्थर मौन होकर भी मौन नहीं होते
*
"बहुत डाला समन्दर मेँ शहद हमनेँ,
कमब्ख़त खारा का खारा ही रहा ।" *
बहुत खूब ... बनी रहेगी ये मूरत उम्र भर के लिए अब ...
Bahut Sunder
जाऊं बुतखाने से क्यों काबे को मैं,
हाथ से ये भी ठिकाना जायेगा...
बहुत सुन्दर...
:-)
आह!!
बहुत सुन्दर .
बहुत दर्द झलकता है इस शेर में। … खूबसूरत
YAHI HO JATA HAI
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