शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

खलिश
















जाने कैसी खलिश है जिंदगी-ए-अहसास में 

'मन' की खामोशी में जानलेवा सा दर्द क्यूँ है !!





सु-मन 

17 comments:

Unknown ने कहा…

सुन्दर |

मेरी नई रचना :- मेरी चाहत

vandana gupta ने कहा…

yahi to pata nahi chalta

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति...!
नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!

RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

विभूति" ने कहा…

behtreen....

अरुन अनन्त ने कहा…

नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-10-2013) के चर्चामंच - 1397 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत सुंदर, इस दर्द के वजह पता कब चलता है।

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
और हमारी तरफ से दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें

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बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
और हमारी तरफ से दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें

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दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये खलिश बुझती नहीं है उम्र भर ...
बहुत खूब ...
दशहरा की मंगल कामनाएं ...

kavita verma ने कहा…

sundar ..

Onkar ने कहा…

सुन्दर

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : रावण जलता नहीं
नई पोस्ट : प्रिय प्रवासी बिसरा गया
विजयादशमी की शुभकामनाएँ .

रश्मि शर्मा ने कहा…

खूब..

anklet ने कहा…

nice ma'am

Ankur Jain ने कहा…

आपके ब्लॉग की कई रचना पढ़ी..बेहद संक्षेप में इतनी गहरी बात कह देना बहुत ही कम देखने को मिलता है...

babanpandey ने कहा…

ज़बरदस्त है सुमन जी ..मेरे भी ब्लॉग पर आये

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर भाव ।

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