मेरी सोच मेरे
अहसास की
सरहद नहीं कोई
लफ़्ज़ों को उड़ान
भरने दो
उस छोर तक
शायद कोई हद मिल
जाये इनको
और वापिस लौट
आएँ
तो.....
बता सकूँ
तुम्हें-कि
देखो हद ढूंढ ली
है मैंने भी
तुम्हारी तरह
पर....
जब तक वो लौट के
ना आएँ
जीने दो मुझको
इस सरहद से
अनभिज्ञ
और उड़ने दो
असीमित खयालों
के आसमां में
तुम संग
तुम्हारे बिना ...!!
सु-मन
24 comments:
सरहदे जो कभी पार नहीं होंगी ...एक खूबसूरत सोच बहुत खूब
ख़यालों की कोई सरहद नहीं ... भर लो उड़ान .... अच्छी प्रस्तुति
अहसास और भावनाओं की कोई सीमा और सरहद होनी भी नहीं चाहिये.
सुंदर प्रस्तुति.
सुन्दर रचना है।
पंछी नदिया पवन के झोके कोई सरहद न इन्हे रोके सरहदें इन्सानो के लिए हैं। इस ही गीत के साथ सिर्फ इतना कहना चाहूंगी की अपने मन के ख़्यालों कभी किसी सरहद के मोहताज न होने दे बल्कि उड़ने दे उन्हें असीमत ख्यालों के आसमान में ...
वाह! बहुत गहन अभिव्यक्ति...
जीने दो मुझको
इस सरहद से अनभिज्ञ
और उड़ने दो
असीमित खयालों के आसमां में
तुम संग तुम्हारे बिना ...!!
वाह वाऽऽह सुमन जी !
बेहतरीन !
कमाल की रचना !
क्या बात है !
शुभकामनाओं सहित…
सुन्दर रचना
Gyan Darpan
अच्छी रचना
बहुत सुंदर
सुंदर अभिव्यक्ति..
Shukriya Anju ji :))
Abhi to udna sikha hai...shbdon ki udaan kitni hogi ..ye dekhna hai..shukriya Sangita ji :)
Hanji sahi kha aapne..:) shukriya
Shukriya kunwar ji..
Pallawi aapne bahut hi sunder gana yaad dila diya... Bahut bahut shukriya :)
Shukriya Kailash ji
Aapko pasand aai ..iske liye tahe dil se shukriya
Shukriya aapka :)
Dhanyvad mahender ji
Shukriya Sushma :)
बहुत खूबसूरत सुंदर भाव, सुंदर प्रस्तुति....!!!
सोच को सरहद मिल जाएगी तो वो कुंद हो जाएगी ...
उसको खुले गगन में उड़ने देना ही ठीक है ...
गहरे एहसास लिए रचना ...
bahut behatreeen...!!
bahut hi lajabab rachana ....badhai sweekaren suman ji
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