सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं ...............................................................
देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे -2
मेरी ख़ता मेरी वफा तेरी ख़ता कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं .............................................................
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर -2
भेजा वही कागज उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं ..............................................................
इक शाम की दहलीज पर बैठे रहे वो देर तक -2
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं ...............................................................
बशीर बद्र