वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
सुनो ! आज दावत दी है मैंने ख़्वाबों को तुम्हारी आखों में आने के लिए आज मत करना इन्तजार मेरे आने का बस पलकें मूँदना और महसूस करना मेरे अहसास को ख्वाबों के गुलशन में अहसास का आशियाँ बनाएंगे सुना है ... कुछ ख्वाब पूरे हो जाया करते हैं ......!!