शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

तुम और मैं - ७















मेरी पेशानी पर 
तुम्हारे एहसास के दस्खत
आज भी 
तुम्हारे हक़ की हाज़री देते हैं ..

इश्क़ की जमाबंदी में तुम्हारे नाम की मुहर काबिज़ है !!

सु-मन 

7 comments:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया है ।

Sadhana Vaid ने कहा…

वाह ! बहुत खूब !

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर ...

Onkar ने कहा…

सुन्दर

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "अंधा घोड़ा और हम - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

भावपूर्ण जज्बात .

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

खूबसूरत अहसास...

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