मंगलवार, 24 जनवरी 2017

तुम और मैं -६


तुम अनलिखी कविताओं का केंद्र बिंदु हो और मैं लिखी इबारतों से बची स्याही |

मेरे अशेष ! स्याह हो रीत लो मुझको ||

सु-मन 

8 comments:

Sadhana Vaid ने कहा…

वाह !

Saru Singhal ने कहा…

Bahut khoob!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

स्याही को इबारतें रीत हाई लेती हैं इबारतें ... बहुत ख़ूब ...

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति की लिंक 26-01-2017को चर्चा मंच पर चर्चा - 2585 में दिया जाएगा
धन्यवाद

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

समर्पण का भाव लिए आपकी सुंदर पोस्ट सुमन जी।
मेरी पोस्ट का लिंक :
http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/01/blog-post_5.html

Malti Mishra ने कहा…

वाह्ह्ह्ह्

Malti Mishra ने कहा…

वाह्ह्ह्ह्

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया

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