जिन्दगी- एक नदी
जिन्दगी एक नदी की तरह है जो बस चलती जाती है कभी तेज तो कभी आहिस्ता1 नदी की तरह जिन्दगी भी कभी रुकती नही, रुक जाते हैं तो बस इंसान शायद हमारी फितरत ही ऐसी है कि हमारे जज्बात किनारे की रेत की तरह पानी के बहाव मे नही बह जाते अपितू नदी के सीने मे उभरी शिला की तरह जड़ होते हैं, स्थिर होते हैं1 फिर जिन्दगी की रफ्तार से उत्पन्न कम्पन धीरे धीरे उसमे चेतना जगाती है और चेतन मन उस शिला पर बैठ कर बहाव को रोक लेना चाहता है पर नादान नही जानता की कल जब जिन्दगी क बहाव बढ़ जायेगा तो उसका अस्तित्व ही मिट जायेगा जिन्दगी उसे रौन्द कर बस चलती जायेगी नहीं देखेगी कि रास्ते पर जज्बात बिखरे जाते हैं बस कुछ निशान से दे जायेगी अपने होने का और जब बहाव कम होने पर वह उभरेगा तो बहुत कुछ होगा और जो हमने पाया होगा कुछ मलिन सा रौंदा हुआ जिंदगी के उस बहाव से जो अभी दूर किसी और शिला पर जाकर थोड़ा रुक कर आगे बह गया........
सु-मन
25 comments:
बेहतरीन शब्दों का प्रयोद्ग !
ये पोस्ट लम्बे समय तक याद रहेगी !
http://sajiduser.blogspot.com/
सुन्दर विचार.. कभी ओशो को पढ़िए.. और मज़ा आएगा..
Good.....
bahut khoobsoorat vichaar....
'हमारे जज्बात किनारे की रेत की तरह पानी के बहाव मे नही बह जाते अपितू नदी के सीने मे उभरी शिला की तरह जड़ होते हैं, स्थिर होते हैं1'
बहाव को रोक लेने का जज्बा ही तो जिन्दगी है. और फिर बहाव जितना तेज हो जिन्दगी उतनी ही तो मुखर होती है.
सुन्दर आलेख. जिन्दगी को बयान करती
आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
nice
बहुत सुंदर । जिंदगी चलने का नाम है ।
i like your thought
शानदार पोस्ट है...
शुक्रिया!!! सुन्दर,खुबसूरत विचार.. उपलब्ध कराने के लिए...
जिंदगी नदी की तरह ही है ..इसके बहाव में बह लिए ...तो पार हुए ...अटके तो बस मझधार में ही रहे ...
सुन्दर कव्यनुमा गद्य ...!!
bhaut khub ma'm
darshan ki baate hain lekin yatharth se ot-prot. shabd-sanyojan khoobsurat hai.
badhayi.
सुन्दर विचार..
दर्शन और खूबसूरत शब्द बेहतरीन तालमेल.
बहुत सुन्दर अभिवयक्ति। शुभकामनायें
nice
suman,
tumhara katha lekha to bahut hi sundar hai aur maturity ki jhalak bhi liye hue hai .. meri badhayi sweekar karo ji
जीवन जैसे बहती नदिया,
सागर में मिल खोजाये ।
जैसे कोई परम आत्मा,
स्वयं ब्रह्म ही होजाये ॥
achcha hai !!!!!!! aise hi likhti rahen
ज़िंदगी के अनुभव ..एक विचार ..अच्छा लगा
एकदम अलग बिम्ब ..जज़्बात बहती नदी के बीच की शिला ....!!
एक अलग सोच दी आपने ...
बहुत सुंदर हृदयाभिव्यक्ति ...
वाह ...बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
jindagi ke baare main sunder dhang se likha hai aapne.bahut achche vichaar.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks.
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