वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
sach kaha hai....... khalipan judaav ke abhaav mein rah jaayega ....... aur sabke man mein kahi na kahi koi khwahish hai jo khalipan ki taraf le jaa rahi hai
suman ji jab bhi aapke lekh padhta hun ,jane kahan se vicharo ke bavandar aate hai or aise gher lete hai ki pata hi nahi chalta ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,kahan hai hum, kahan kasti ,kahan kinara . bahut gahri or sarthak baten aapke lekh or rachnao mein samahit hoti hai .
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ..........अच्छा लिखती हैं आप .......आपके ब्लॉग पर ओशो का एक विडियो भी था .........लेखनी में इंसान के विचारो का प्रतिबिम्ब साफ़ झलकता है ..........ओशो का ही कहा हुआ ....."तुम जो सोचते हो वही हो जाते हो.....सोचना तो बीज बोना है |"
बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है और पोस्ट भी ..........आगे भी ऐसा ही कुछ मिलेगा इस उम्मीद में अक़प्को फॉलो कर रहा हूँ|
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- http://jazbaattheemotions.blogspot.com/ http://mirzagalibatribute.blogspot.com/ http://khaleelzibran.blogspot.com/ http://qalamkasipahi.blogspot.com/
एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
16 comments:
BAHUT SUNDAR ABHIVYAKTI.... SUMAN JI
sach kaha hai....... khalipan judaav ke abhaav mein rah jaayega ....... aur sabke man mein kahi na kahi koi khwahish hai jo khalipan ki taraf le jaa rahi hai
bhaavo ko sundartaa se ukeraa hai aapne .........
suman ji
jab bhi aapke lekh padhta hun ,jane kahan se vicharo ke bavandar aate hai or aise gher lete hai ki pata hi nahi chalta ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,kahan hai hum, kahan kasti ,kahan kinara .
bahut gahri or sarthak baten aapke lekh or rachnao mein samahit hoti hai .
भावों को गहरे से रक्खा है आपने ... बीज तो अपना कर्म करेगा ... ख़ालीपन अपना ......
आपका ब्लॉग तो सुन्दर है ही,
--
आज की विचारनुमा पोस्ट भी खासी प्रभावित करती है!
--
बहुत-बहुत बधाई!
संस्कार, परिवेश और साधना से संभव सौम्य धीरज और कृतज्ञता के उच्च मानवीय मूल्य की झलक राहत देती है.
ये खालीपन भावो से भर के किसी खूबसूरत नज़्म में ढल जाता है...
बहुत खूब !
अच्छे विचार !
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विचार
नदी की धार
चलते-चलते
होते निर्मल
रुकते ही
होते दुर्निवार !
थमे-थमे ही
जब जाते थक
कौन कहे
फ़िर उनको
सुकुमार !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ।
अच्छी कविता है .... धन्यवाद
कृपया एक बार पढ़कर टिपण्णी अवश्य दे
(आकाश से उत्पन्न किया जा सकता है गेहू ?!!)
http://oshotheone.blogspot.com/
Bahut sundar. Aapke vichar gambhir manan karne ko vivash kar dete hain..
Kailash C Sharma
http://www.sharmakailashc.blogspot.com/
बहुत सुन्दर भाव...खूबसूरत विचार.
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
bahut sunder likhaa hai aapne..
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ..........अच्छा लिखती हैं आप .......आपके ब्लॉग पर ओशो का एक विडियो भी था .........लेखनी में इंसान के विचारो का प्रतिबिम्ब साफ़ झलकता है ..........ओशो का ही कहा हुआ ....."तुम जो सोचते हो वही हो जाते हो.....सोचना तो बीज बोना है |"
बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है और पोस्ट भी ..........आगे भी ऐसा ही कुछ मिलेगा इस उम्मीद में अक़प्को फॉलो कर रहा हूँ|
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
http://qalamkasipahi.blogspot.com/
एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
एक तो हम ही इतनी देर से इस ब्लॉग पर पहुंच सके...
ऊपर से ’आप भी ना’...
बताईए, 27 aug के बाद कोई पोस्ट नहीं?
B'ful poem
www.the-royal-salute.blogspot.com
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