गुरुवार, 27 जनवरी 2011

तन्हा हम




 रोज शाम यूं ही रात में बदलती है
        
          पर हर रात अलग होती है

 कभी आँखें खाबों से बन्द रहती हैं
        
          कभी तन्हा ही नम रहती हैं !!

सु-मन 



39 comments:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

'मीत' सुमन जी
सादर अभिवादन !

छोटी छोटी काव्य रचनाओं का आपका अंदाज़ पसंद आया । बहुत ख़ूब !

गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

UNBEATABLE ने कहा…

कम शब्दों में भावनाओं का सटीक प्रेषण ... बहुत खूब

Unknown ने कहा…

Bahut hi Acha Likha hai , Aapki is Rachna ko pad kar ek sher yaad aa gaya ....... " Raaton ko Batakne ki Deta hai Sazaa Mujho , Mushkil Hai Pehlu Mein Dil Uske Bina Rakhna ....".

Asha Hai Behter se Behter Rachnayein Aap Se Sunne/Padne ko Milti Rahengi ......

Rohit Singh ने कहा…

छोटी रचना, सुंदर रचना.....सही में कभी कभी कुछ शब्द ही काफी कुछ याद दिला देते हैं

Sunil Kumar ने कहा…

chhoti magar asardar , badhai

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


वाह जी, बहुत बढिया
भावों के लिए तो चार लाईने ही काफ़ी हैं
उम्दा लेखन के लिए आभार

घर घर में माटी का चूल्हा

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत खूब। शुभकामनायें।

vijay kumar sappatti ने कहा…

choti si kavita me aapne to poora jeevan ka saar de diya hai

badhayi ho , tanhayi ki goonj hai in panktiyo me

vijay
pls read my new poem on poemsofvijay.blogspot.com

Mithilesh dubey ने कहा…

हममममममम, छोटी मगर लाजवाब अभिव्यक्ति से लवरेज रचना ।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

तनहा तो सारी दुनिया है दोस्‍त।

---------
जीवन के लिए युद्ध जरूरी?
आखिर क्‍यों बंद हुईं तस्‍लीम पर चित्र पहेलियाँ ?

राजेश चड्ढ़ा ने कहा…

अच्छी बात कही है आप ने....शुभकामनाएं

रश्मि प्रभा... ने कहा…

is nami me phir saikdon khwaab milte hain

Shekhar Kumawat ने कहा…

are wah

Anamikaghatak ने कहा…

lajwab

sanu shukla ने कहा…

sundar...!!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

सही कहा है आपने...
और...
ज़िन्दगी का हर लम्हा कोई न कोई सबक भी देता है.

Atul Shrivastava ने कहा…

इसे कहते हैं गागर में सागर। बधाई हो। कभी पधारिऐ हमारे भी ब्‍लाग में।
atulshrivastavaa.blogspot.com

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति ,इसको 2/3 मिसरों में और विस्त्रित किया जाये तो ये मुमताज सी लगेगी। बहरहाल बधाई।

Suman ने कहा…

bahut khubsurat....

रंजना ने कहा…

भावपूर्ण....

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत सुन्दर

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

tanha...............................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................

Unknown ने कहा…

गहराइयो से कही बात का असर जल्दी होता है
इश्वर के घर भी,जज्बाती रचना..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये तन्हाई पीछा नहीं छोडती ... क्या खूब लिखा है .....

Arvind Jangid ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति| धन्यवाद|

आप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सही कहा है आपने...

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

कम शब्दों में भावों की सरिता का अबाध प्रवाह है। लेखन की यह शैली बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है।

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

तस्वीर के साथ पंक्ति बहुत सुन्दर बन पड़ा है!

Barmer news track ने कहा…

bahoot khooob....suprabhat

विशाल ने कहा…

आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ.बहुत ही बढ़िया पोस्ट पढने को मिली.
कम शब्दों में कमाल की अभिव्यक्ति.
आपकी कलम को सलाम.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

सुमनजी,
बहुत सुन्दर ! तस्वीर और रचना दोनों सुन्दर है ...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना।

बधाई।

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ब्‍लॉगवाणी: ब्‍लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।

36garhsports ने कहा…

बहुत सुंदर मगर...
हर रात के बाद सवेरा आता है
तन्हा नम आंखों में
खुशियों की किरणें लाता है
तब सूख जातें हैं आंखों के अश्रु
और ख्वाब हकीकत में बदल जाता है

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत सुस्दर प्रस्तुति

amrendra "amar" ने कहा…

Bahut Khub .........sunder prastuti

Unknown ने कहा…

Bahut sunder Suman !

Ajit Pal Singh Daia ने कहा…

bahut badhiya hai sumanji

प्रदीप नील वसिष्ठ ने कहा…

वाह कहूँ या आह ,सुमन जी?
कलम से लिखती हैं या लहू से?
सादर
प्रदीप नील www.neelsahib.blogspot.com

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