वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
'मीत' सुमन जी सादर अभिवादन ! छोटी छोटी काव्य रचनाओं का आपका अंदाज़ पसंद आया । बहुत ख़ूब ! गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं ! - राजेन्द्र स्वर्णकार
Bahut hi Acha Likha hai , Aapki is Rachna ko pad kar ek sher yaad aa gaya ....... " Raaton ko Batakne ki Deta hai Sazaa Mujho , Mushkil Hai Pehlu Mein Dil Uske Bina Rakhna ....".
Asha Hai Behter se Behter Rachnayein Aap Se Sunne/Padne ko Milti Rahengi ......
बहुत सुंदर मगर... हर रात के बाद सवेरा आता है तन्हा नम आंखों में खुशियों की किरणें लाता है तब सूख जातें हैं आंखों के अश्रु और ख्वाब हकीकत में बदल जाता है
39 comments:
'मीत' सुमन जी
सादर अभिवादन !
छोटी छोटी काव्य रचनाओं का आपका अंदाज़ पसंद आया । बहुत ख़ूब !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कम शब्दों में भावनाओं का सटीक प्रेषण ... बहुत खूब
Bahut hi Acha Likha hai , Aapki is Rachna ko pad kar ek sher yaad aa gaya ....... " Raaton ko Batakne ki Deta hai Sazaa Mujho , Mushkil Hai Pehlu Mein Dil Uske Bina Rakhna ....".
Asha Hai Behter se Behter Rachnayein Aap Se Sunne/Padne ko Milti Rahengi ......
छोटी रचना, सुंदर रचना.....सही में कभी कभी कुछ शब्द ही काफी कुछ याद दिला देते हैं
chhoti magar asardar , badhai
वाह जी, बहुत बढिया
भावों के लिए तो चार लाईने ही काफ़ी हैं
उम्दा लेखन के लिए आभार
घर घर में माटी का चूल्हा
बहुत खूब। शुभकामनायें।
choti si kavita me aapne to poora jeevan ka saar de diya hai
badhayi ho , tanhayi ki goonj hai in panktiyo me
vijay
pls read my new poem on poemsofvijay.blogspot.com
हममममममम, छोटी मगर लाजवाब अभिव्यक्ति से लवरेज रचना ।
तनहा तो सारी दुनिया है दोस्त।
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जीवन के लिए युद्ध जरूरी?
आखिर क्यों बंद हुईं तस्लीम पर चित्र पहेलियाँ ?
अच्छी बात कही है आप ने....शुभकामनाएं
is nami me phir saikdon khwaab milte hain
are wah
lajwab
sundar...!!
सही कहा है आपने...
और...
ज़िन्दगी का हर लम्हा कोई न कोई सबक भी देता है.
इसे कहते हैं गागर में सागर। बधाई हो। कभी पधारिऐ हमारे भी ब्लाग में।
atulshrivastavaa.blogspot.com
सुन्दर अभिव्यक्ति ,इसको 2/3 मिसरों में और विस्त्रित किया जाये तो ये मुमताज सी लगेगी। बहरहाल बधाई।
bahut khubsurat....
भावपूर्ण....
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत सुन्दर
tanha...............................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................
गहराइयो से कही बात का असर जल्दी होता है
इश्वर के घर भी,जज्बाती रचना..
ये तन्हाई पीछा नहीं छोडती ... क्या खूब लिखा है .....
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति| धन्यवाद|
आप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
सही कहा है आपने...
कम शब्दों में भावों की सरिता का अबाध प्रवाह है। लेखन की यह शैली बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है।
तस्वीर के साथ पंक्ति बहुत सुन्दर बन पड़ा है!
bahoot khooob....suprabhat
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ.बहुत ही बढ़िया पोस्ट पढने को मिली.
कम शब्दों में कमाल की अभिव्यक्ति.
आपकी कलम को सलाम.
सुमनजी,
बहुत सुन्दर ! तस्वीर और रचना दोनों सुन्दर है ...
बहुत ही सुंदर रचना।
बधाई।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
बहुत सुंदर मगर...
हर रात के बाद सवेरा आता है
तन्हा नम आंखों में
खुशियों की किरणें लाता है
तब सूख जातें हैं आंखों के अश्रु
और ख्वाब हकीकत में बदल जाता है
बहुत सुस्दर प्रस्तुति
Bahut Khub .........sunder prastuti
Bahut sunder Suman !
bahut badhiya hai sumanji
वाह कहूँ या आह ,सुमन जी?
कलम से लिखती हैं या लहू से?
सादर
प्रदीप नील www.neelsahib.blogspot.com
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