सोमवार, 20 जनवरी 2014

बेआवाज़ लफ्ज़











कुछ बेआवाज़ से लफ्ज़ 
दे रहे दस्तक 
' मन ' की दहलीज़ पर 
*
*
जिंदगी का शोर यूँ सिमट रहा 
पन्नों की सतह पर बेआवाज़ !!


सु-मन 

14 comments:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

सुन रही हूँ बेआवाज सी दस्तकें
दिल धड़कता है
ये तो तुम हो !

Saras ने कहा…

मानो हर दर्द को ज़ुबाँ मिल गयी हो...
वाह सुमन !!!

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

वाह रश्मि जी , क्या बात कह दी !
तुम ही धड़कते हो हर घड़ी मुझमे
तेरी धड़कन को यूँ जिया है मैंने !!

सु..मन

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

शुक्रिया सरस जी !
आपकी इस पंक्ति से कुछ लिखने का मन हो रहा ,जल्द हो आपको पढ़वाउंगी ।

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर ...भावपूर्ण रचना....
:-)

Vaanbhatt ने कहा…

ज़िन्दगी का शोर सिमट रहा है पन्नों पर...बहुत ही उम्दा...

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

खूबसूरत भाव

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत ही उम्दा प्रस्तुति...!

RECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.

Poonam Matia ने कहा…

bahut khoob suman ji
panne jindgi kii kitaab ke syaah yunhi ho nahi jaate
vo to dard hain mere jo panno se lipat jaate hain ..poonam

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

पन्ने कहती जिंदगी की कहानी
बेजुबान है आवाज नहीं करती ...बहुत सुन्दर !

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत उम्दा... .... आभार

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब...

मन के - मनके ने कहा…

गागर में सागर
कभी-कभी बहुत कहने के लिये,बहुत कम श्ब्दों की जरूरत होती है,
और कभी तो ----

Satish Saxena ने कहा…

मंगल कामनाएं सु-मन को !!

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