वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
विरह के उत्सव आयोजन और सहराँ को समंदर कर देने की ख्वाहिश / आह्वान में, एक टीस / एक आर्तनाद / एक बेबस फ़रियाद भी छुपी है...और खो देने के गहन क्षण में हौसले की नन्हीं किरण भी ! सुंदर लेखन !
12 comments:
बहुत खूब...
शुक्रिया वाणभट्ट जी
बहुत खूब
धन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन हुनर की कीमत - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
क्या बात है। बहुत सुदर।
बहुत खूब
विरह के उत्सव आयोजन और सहराँ को समंदर कर देने की ख्वाहिश / आह्वान में, एक टीस / एक आर्तनाद / एक बेबस फ़रियाद भी छुपी है...और खो देने के गहन क्षण में हौसले की नन्हीं किरण भी ! सुंदर लेखन !
आँखों से छलकते समुन्दर में डूबकर मन व्याकुल हो उठा!
बहुत खूब!
अच्छा है ।
समुंदर बने तो अच्छा है
जहाज बनाने वालों
की भी कुछ चलेगी :)
bahut sunder !
वाह
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