वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
स्वागत
वाह! कितनी खूबसूरती से मात्र दो पंक्तियों में आपने कितनी गहरी बात कह दी! बहुत खूब सुमन जी!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12-03-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1915 में दिया जाएगा धन्यवाद
वाह..बहुत उम्दा
बहुत खूब,बहुत सुंदर
इस आदत के गुलाम हैं या उनके कहने के ... जिसको सच मान लेते हैं जूठा होते हुए भी ...
अच्छी रचना !मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
वाह
har bar....bar bar aisa hi hota hai .....sundar panktiyan
9 comments:
स्वागत
वाह! कितनी खूबसूरती से मात्र दो पंक्तियों में आपने कितनी गहरी बात कह दी! बहुत खूब सुमन जी!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12-03-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1915 में दिया जाएगा
धन्यवाद
वाह..बहुत उम्दा
बहुत खूब,बहुत सुंदर
इस आदत के गुलाम हैं या उनके कहने के ... जिसको सच मान लेते हैं जूठा होते हुए भी ...
अच्छी रचना !
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
वाह
har bar....bar bar aisa hi hota hai .....sundar panktiyan
एक टिप्पणी भेजें