वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
चाह मेरी हो जाऊँ इन बादलों सी स्याह मैं भर लूँ अपने भीतर खूब कालापन मुझमें समाहित हो तमाम रंग मेरे स्याह होने की गवाही दें लिखूँ मैं अपने भीतर की कालिख से एक प्रेमगीत !! सु-मन
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (03-07-2015) को "जब बारिश आए तो..." (चर्चा अंक- 2025) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
13 comments:
जरूर लिखें
सतरंगी रंगो के
साथ बहे प्रेम
और प्रेम गीत भी
अंदर स्याह से
निकल कर
मिलने बाहर की
स्याही से :)
वाह सुन्दरे
Waah.... Khoob Badhiya
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, तीन सवाल - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (03-07-2015) को "जब बारिश आए तो..." (चर्चा अंक- 2025) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत ही खूबसूरत शब्द सुमन जी !
एक पुराना गीत याद आ रहा है--मेरा गोरा रंग ले ले--मोह श्याम रम्ग दे-दे छुप जाऊंगी---?
शायद भूल रही हूं.
सुंदर.
बहुत खूब
प्रेम गीत कोरे कागज़ पे स्याही से ही तो लिखे जाता हैं ...
गहरी रचना ...
बहुत गहरे अर्थों को छोटे में ही समाहित कर दिया सार्थक कविता
तमाम रंग मेरे स्याह होने की गवाही दें.........प्रभावी पंक्तिया
बहुत खूब |
very nice su-manji
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