वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
Nice poem dear :)zigzacmania.com
सुंदर !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, उधर मंगल पर पानी, इधर हैरान हिंदुस्तानी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुन्दर भाव !
सुंदर भाव.
बहुत सुन्दर ...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2123 में दिया जाएगा धन्यवाद
बहुत सुन्दर ..
सच है, तर्पण से ही पितरों को शान्ति मिलती है।
10 comments:
Nice poem dear :)
zigzacmania.com
सुंदर !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, उधर मंगल पर पानी, इधर हैरान हिंदुस्तानी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुन्दर भाव !
सुंदर भाव.
बहुत सुन्दर ...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर
चर्चा - 2123 में दिया जाएगा
धन्यवाद
बहुत सुन्दर ..
सच है, तर्पण से ही पितरों को शान्ति मिलती है।
सच है, तर्पण से ही पितरों को शान्ति मिलती है।
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