वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
भीगते तो होंगे तुम्हारे भी कुछ लफ्ज़ मेरे याद के भरे बादल बरसते तो होंगे चलती तो होंगी तुम्हारे शहर भी हवाएँ मेरे नाम के पत्ते शाख से गिरते तो होंगे !! सु-मन