सोमवार, 17 अगस्त 2015

भीगे लफ्ज़





















भीगते तो होंगे तुम्हारे भी कुछ लफ्ज़ 
मेरे याद के भरे बादल बरसते तो होंगे 
चलती तो होंगी तुम्हारे शहर भी हवाएँ
मेरे नाम के पत्ते शाख से गिरते तो होंगे !!

सु-मन 

13 comments:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत अहसास...लाज़वाब....

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मदनलाल ढींगरा जी की १०६ वीं पुण्यतिथि - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

alka ने कहा…

Beautiful lines Suman ji :))

alka ने कहा…

Beautiful lines Suman ji :))

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

शब्द भी हैं बादल भी हैं हवा भी है पत्ते भी है
भीग रहा है सब कुछ भीगा हुआ सारा शहर है ।

बहुत सुंदर !

anklet ने कहा…

very nice su-manji

Yogi Saraswat ने कहा…

बहुत सुंदर सुमन जी !!

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

बिल्कुल ऐसा ही होगा . सुन्दर भाव ..

Rewa Tibrewal ने कहा…

wah bahut sundar

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत सुंदर.

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर अहसास.

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत सुंदर सुमन जी.

Shanti Garg ने कहा…

सुन्दर व सार्थक रचना ..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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