वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
भीगते तो होंगे तुम्हारे भी कुछ लफ्ज़ मेरे याद के भरे बादल बरसते तो होंगे चलती तो होंगी तुम्हारे शहर भी हवाएँ मेरे नाम के पत्ते शाख से गिरते तो होंगे !! सु-मन
13 comments:
बहुत ख़ूबसूरत अहसास...लाज़वाब....
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मदनलाल ढींगरा जी की १०६ वीं पुण्यतिथि - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Beautiful lines Suman ji :))
Beautiful lines Suman ji :))
शब्द भी हैं बादल भी हैं हवा भी है पत्ते भी है
भीग रहा है सब कुछ भीगा हुआ सारा शहर है ।
बहुत सुंदर !
very nice su-manji
बहुत सुंदर सुमन जी !!
बिल्कुल ऐसा ही होगा . सुन्दर भाव ..
wah bahut sundar
बहुत सुंदर.
बहुत सुंदर अहसास.
बहुत सुंदर सुमन जी.
सुन्दर व सार्थक रचना ..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
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