वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
मेरे पास हज़ारों ख़्वाहिशें हैं तुम तक पहुँचने की और और तुम्हारे पास बहुत सारे गिले जुदा होने के | चलो हिसाब बराबर हुआ ..गिला ख़्वाहिशों की नमी तले आबाद रहे !! सु-मन
6 comments:
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १५०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है - १५०० वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत खूब कहा, कोई बंधकर खुश तो कोई मुक्त होकर !
हिसाब बराबर
कहाँ होता है
कुछ इधर कम
कुछ उधर
ज्यादा होता है :)
बहुत ख़ूब ... हिसाब बराबर हो तो ज़िंदगी चलती रहती है
सुन्दर पंक्तियाँ
बहुत खूब
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