बुधवार, 12 सितंबर 2018

समन्दर-ए-इश्क़

























खाली लम्हों को तेरे ख़यालों से जो सजाया हमने 
जाम-ए-सेहरा सा दिन समन्दर-ए-इश्क़ में ढल गया !!

सु-मन 

2 comments:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.9.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3093 में दिया जाएगा

धन्यवाद

Onkar ने कहा…

सुन्दर

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