वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
तन मिट्टी मन मिट्टी , ये जग भी मिट्टी होया
तुझे सींचा खुद भीतर , जीवन मैल भी खोया
सु-मन