गुरुवार, 27 जनवरी 2011

तन्हा हम

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 रोज शाम यूं ही रात में बदलती है
        
          पर हर रात अलग होती है

 कभी आँखें खाबों से बन्द रहती हैं
        
          कभी तन्हा ही नम रहती हैं !!

सु-मन 



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