वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
सच...क्या बात है!
शब्दों से परे का मौन.....बेहद गहरा !
और इस चुप्पी की कोई भाषा ना परिभाषा हैं ...
:)
मौन की आवाज़ दूर तक और देर तक सुनाई देती है।
बिलकुल .. शब्दों के परे भी आवाज़ होती है मौन की ...लाजवाब ...
nice
bilkul sahi..:-)
शब्दों के परे भी समन्दरों के वजूद हैंजहां सौ चुप्पियां, हजारों खामोशियां मौजूद हैं।
10 comments:
सच...क्या बात है!
शब्दों से परे का मौन.....बेहद गहरा !
और इस चुप्पी की कोई भाषा ना परिभाषा हैं ...
:)
मौन की आवाज़ दूर तक और देर तक सुनाई देती है।
बिलकुल .. शब्दों के परे भी आवाज़ होती है मौन की ...लाजवाब ...
nice
bilkul sahi..
:-)
शब्दों के परे भी समन्दरों के वजूद हैं
जहां सौ चुप्पियां, हजारों खामोशियां मौजूद हैं।
शब्दों के परे भी समन्दरों के वजूद हैं
जहां सौ चुप्पियां, हजारों खामोशियां मौजूद हैं।
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