ऐ मेरे दोस्त..लफ्ज़
सुबह से लेकर शाम तक की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारावास में भूत के बिछौने पे अधलेटी से स्मृतियाँ हैं । वर्तमान की दीवार पर छत से सटे हुए इकलौते रोशनदान से बाद दोपहर भविष्य के धूमिल कण झिलमिलाते हैं । सलाखों के उस पार अनेक रोशनियाँ हैं जिनमें अनेक रंगीनियाँ हैं सतरंगी इन्द्रधनुष से महकता खुला आकाश और इस पार मैं हूँ उस रोशनदान से दिखता मेरा सिमटा आकाश के जिसमें एक नहीं अनगिनत इन्द्रधनुष दिखते हैं मुझको और मुझे सराबोर कर देते हैं अपनी महक से और खिल उठती हूँ मैं सुमन सी जब तुम मुझमे समाहित हो उतर आते हो पन्नों पर । मुझे ये कारावास प्रिय है और तुम्हारा सानिध्य भी !!
9 comments:
गहरे एहसास
बहुत सुंदर भाव....
कहीं ये मृगतृष्णा तो नहीं। सुंदर भाव.
Nice
बहुत सुंदर अहसास.
नई पोस्ट : कुछ कहते हैं दरवाजे
सुंदर भाव ...!
RECENT POST - प्यार में दर्द है.
क्या बात है। लाजवाब प्रस्तुति। सुंदर अहसास.
वाह...बहुत उम्दा पोस्ट...
नयी पोस्ट@चुनाव का मौसम
तारीफ़ क्या करूँ ? एक-एक शब्द ह्रदय में डूब गया है....
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