शुक्रवार, 13 जून 2014

इंतज़ार का ज़ायका











एक कटोरी याद
डाल दी है मैंने
पकने की खातिर

एक कड़ाही भर
एहसास के दानों को
रख दिया है पका कर

सब गिले शिकवों को
मांज कर
परोस दिया है प्यार
विश्वास की मेज़ पर

कब आओगे तुम
कहीं बासी न हो जाए
इस इंतज़ार का ज़ायका ..!!


सु-मन 

10 comments:

Aparna Bose ने कहा…


सब गिले शिकवों को
मांज कर
परोस दिया है प्यार
विश्वास की मेज़ पर...वाह एक अलग मगर सुन्दर अंदाज़। दिल को छू लिया सुमन :)

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

nice. अवसाद या लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव मस्तिष्क को सिकोड़ देता है।
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%96-%E0%A4%A6-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AD%E0%A4%B0-%E0%A4%B8-%E0%A4%B0%E0%A4%96-%E0%A4%AF-%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%AB-%E0%A4%B0-%E0%A4%9C-%E0%A4%85%E0%A4%A6-%E0%A4%95-%E0%A4%9C-%E0%A4%AF-%E0%A4%A1-%E0%A4%AA-%E0%A4%B0-%E0%A4%B6%E0%A4%A8-%E0%A4%AD-%E0%A4%97-%E0%A4%9C-%E0%A4%AF-%E0%A4%971

Vaanbhatt ने कहा…

बहुत सुन्दर...

Onkar ने कहा…

बिल्कुल अलग तरह की कविता

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

भाई मजा आ गया बहुत सुन्दर भाव
भ्रमर ५

Udan Tashtari ने कहा…

वाह,,,जल्द आयें कि बासी न हो जायका!!

बेनामी ने कहा…

Nice Poem Ma"m :)

Yogi Saraswat ने कहा…

सब गिले शिकवों को
मांज कर
परोस दिया है प्यार
विश्वास की मेज़ पर...वाह एक अलग मगर सुन्दर अंदाज़। दिल की गहराइयों से निकले शब्द ! बहुत सुन्दर सुमन जी

उम्मतें ने कहा…

अच्छे बिम्ब ! बेहतर कविता !

Suman ने कहा…

वाह क्या मजेदार व्यंजन बनाया है विश्वास रखे
इंतजार का जायका बासी नहीं होगा ! मस्त है !

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