वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
क्या बात ... ख्वाहिशें जो पनप नहीं पातीं गल जाती हैं ...
वाह..बहुत खूब
बहुत खूब
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-01-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1873 में दिया गया है धन्यवाद
अहा , उम्दा जी उम्दा , भई बहुत अच्छे
5 comments:
क्या बात ... ख्वाहिशें जो पनप नहीं पातीं गल जाती हैं ...
वाह..बहुत खूब
बहुत खूब
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-01-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1873 में दिया गया है
धन्यवाद
अहा , उम्दा जी उम्दा , भई बहुत अच्छे
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