वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
कि एक मुद्दत से एहसास में पड़ी सीलन भिगो कर अच्छे से सूखा दूँ !! वाह क्या खुब कहा है आपने। एहसास की सीलन को भिगोकर सुखाने की तमन्ना बहुत खुब की है। ऐसी ही उँची उड़ान भरते रहिए। नज़र से नज़र की बात
14 comments:
वाह ! बहुत ही सुन्दर !
सुंदर ।
गहरे ज़ज़्बात। बहुत बढ़िया सुमन जी ...
अच्छी कविता
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जयंती - प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
बहुत सुन्दर
उत्तर दो हे सारथि !
वाह.....बहुत सुंदर भाव
Wah, see last ko bhigakar fir sukhana.
बहत गहरे अहसास
बेहतरीन
बहुत सुन्दर
वह .. गहरे जज्बात को मिलते शब्द ...
सुंदर एहसास ,अच्छी रचना
कि
एक मुद्दत से
एहसास में पड़ी सीलन
भिगो कर अच्छे से सूखा दूँ !!
वाह क्या खुब कहा है आपने। एहसास की सीलन को भिगोकर सुखाने की तमन्ना बहुत खुब की है। ऐसी ही उँची उड़ान भरते रहिए।
नज़र से नज़र की बात
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