वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (19-06-2015) को "गुज़र रही है ज़िन्दगी तन्हा" {चर्चा - 2011} पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
14 comments:
बढ़िया :)
बहुत बढ़िया
हसरतों की बारिश ही नहीं पूरी भी तो करनी हैं हसरतें
ख्वाहिशें उतर जाती हैं अश्कों के साथ ...
बहुत खूब ...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (19-06-2015) को "गुज़र रही है ज़िन्दगी तन्हा" {चर्चा - 2011} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर ...
बहुत सुन्दर !
waaaaaaaaaaaaah
ख्वाहिशों और अश्कों का बहुत गहरा नाता है...बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
बहुत खूब
कम शब्दों में गहरे अर्थ संजोये सुंदर प्रस्तुति।
वाह बहुत खूब --- सहज पर गहरी
बहुत सुन्दर !
वाह! बहुत ख़ूब !!
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