सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

बुलबुलों से ख़्वाब

















बुलबुलों से ख़्वाबों को दे दूँ पल भर की उड़ान 
जीने दूँ उनको,उनके हिस्से की कुछ जिन्दगी !!

सु-मन 

6 comments:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

ख्वाब उड़ें
बुलबुलों में बैठ कर
बुलबुले ख्वाब में
या ख्वाब बुलबुले में
उड़ना अच्छा है
फूटने से या टूटने से :)

kuldeep thakur ने कहा…

आपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 09/02/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक207 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ख्वाब जी सकें तो पूरी उम्र थोड़ी है ... लाजवाब शेर....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-02-2016) को "नुक्कड़ अनाथ हो गया-अविनाश वाचस्पति को विनम्र श्रद्धांजलि" (चर्चा अंक-2247) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
चर्चा मंच परिवार की ओर से वाचस्पति को भावभीनी श्रद्धांजलि।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कविता रावत ने कहा…

अपने अपने हिस्से की जिंदगी ...

Madhulika Patel ने कहा…

बेहद लाजबाब ।

एक टिप्पणी भेजें

www.hamarivani.com
CG Blog www.blogvarta.com blogavli
CG Blog iBlogger