शनिवार, 19 मार्च 2016

ख़ामोशी














जब कभी 
....मैं 
नहीं कह पाती 
....तुमसे 
अपने मन की बात 
मुठ्ठी भर ख़ामोशी 
भेज देती हूँ तुम्हें 
ख़ामोशी भी बोलती है 
सुन सको तो सुनना !!

सु-मन 

9 comments:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " एक 'डरावनी' कहानी - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

kuch log jaante hain khamoshi ko khamosh ho kar sunana

Onkar ने कहा…

सुन्दर और सही कहा

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 21 मार्च 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

रश्मि शर्मा ने कहा…

Bolti hai khamoshi bhi..sundar

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर ।

JEEWANTIPS ने कहा…

सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!

मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर रचना।

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर रचना।

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