वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (06-03-2016) को "ख़्वाब और ख़याल-फागुन आया रे" (चर्चा अंक-2273) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
4 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (06-03-2016) को "ख़्वाब और ख़याल-फागुन आया रे" (चर्चा अंक-2273) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर
बढ़िया ।
सुंदर भावनाएं
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