शनिवार, 3 जून 2017

बस यूँ ही ~ 1




झील की चादर पर पड़ गई हैं सिलवटें 
आज फिर, मस्त पवन उससे मिलने आया है !!


सु-मन 

5 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-06-2017) को
"प्रश्न खड़ा लाचार" (चर्चा अंक-2640)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर।

'एकलव्य' ने कहा…

small words with great thoughts,nice !

sarvesh ने कहा…

sundar rachna keep posting and keep visiting on www.kahanikikitab.com

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर

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